मन बासंती कर लें आओ.......
आज दिनांक ३०.१.२४ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति
.......मन बासंती कर लें आओ.......
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बासंती रंग है प्यार का, देता सबको प्यार,
प्रकृति प्यार बरसा रही,फूलों की भरमार।
फूल बसंती देख कर मोर कर रहे शोर,
मस्त मयूरी नाचती हर्षाती मन-मोर।
विदा हो रही शीत ऋतु अब बसंत का राज,
पशु-पक्षी भी प्यार मे भूल रहे सब काज।
नर-नारी पीछे नहीं बांट रहे हैं प्यार,
प्यार भरा है सारा मंजर,बच्चे पाएं दुलार।
होली के रंग मे रंगे घूम रहे हैं लोग,
मिलकर होली खेलकर ख़ुश होते सब लोग।
बासंती बना है हर घर-आंगन बासंती है दिल,
प्यार बांटते रहो सभी को मिल जाएं सब दिल।
ये अमात्रिक कविता है,कृपया दोहे के परिमाप से न नापियेगा आदरणीया।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Gunjan Kamal
02-Feb-2024 04:42 PM
👏👌
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Mohammed urooj khan
31-Jan-2024 12:50 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Varsha_Upadhyay
30-Jan-2024 05:40 PM
बहुत खूब
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